/lotpot/media/media_files/2025/11/05/teen-machhliyon-ki-kahani-buddhi-karm-bhagya-prernadayak-hindi-story-2025-11-05-16-59-03.jpg)
यह कहानी तीन मछलियों की है - दूरदृष्टि (जो भविष्य के खतरे को भांपकर तुरंत कदम उठाती है), ततपर (जो खतरा आने पर समाधान खोजती है), और भाग्यवादी (जो सब कुछ भाग्य पर छोड़ देती है)। जब मछुआरे अगले दिन मछली पकड़ने का फैसला करते हैं, तो दूरदृष्टि तुरंत सुरक्षित स्थान पर चली जाती है। ततपर अपनी बुद्धिमत्ता का उपयोग करके एक मृत ऊदबिलाव की बदबू अपने ऊपर लपेटकर मरी हुई मछली का ढोंग करती है और बच जाती है। दुर्भाग्य से, भाग्यवादी मछली अपने भाग्य के भरोसे बैठी रहती है और मछुआरों के जाल में फंसकर मर जाती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि केवल भाग्य के भरोसे बैठे रहने से कुछ नहीं होता, बल्कि कर्म और समझदारी ही हमें मुश्किलों से बाहर निकालती है।
एक समय की बात है, एक शांत नदी के किनारे एक विशाल जलाशय था। इस जलाशय का पानी गहरा और निर्मल था, जहाँ मछलियों का प्रिय भोजन, जलीय पौधे और सूक्ष्म काई प्रचुर मात्रा में उगती थी। यह स्थान मछलियों के लिए स्वर्ग जैसा था, और अंडे देने के लिए तो सभी मछलियां यहीं आती थीं। यह जलाशय घनी झाड़ियों और लंबी घासों से घिरा होने के कारण आसानी से किसी की नज़र में नहीं आता था।
इस जलाशय में तीन मछलियां रहती थीं, जिनकी सोच और स्वभाव एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थे। पहली मछली का नाम था दूरदृष्टि। वह आने वाले संकटों को पहले से भाँपकर उनसे बचने के उपाय करने में विश्वास रखती थी। दूसरी मछली थी ततपर। उसका मानना था कि संकट आने पर ही उससे निपटने के लिए प्रयास करना चाहिए, पहले से चिंता करने का कोई फायदा नहीं। और तीसरी मछली, भाग्यवादी, का विचार था कि भाग्य में जो लिखा है, वही होगा; टालने या बदलने की कोशिश करना व्यर्थ है।
एक शाम, कुछ मछुआरे नदी में मछली पकड़कर घर लौट रहे थे। उनके जाल लगभग खाली थे, और उनके चेहरे पर निराशा साफ झलक रही थी। तभी उनकी नज़र झाड़ियों के ऊपर उड़ रहे मछलीखोर पक्षियों के झुंड पर पड़ी, जिनकी चोंच में ताज़ी मछलियां दबी थीं। "अरे! यह पक्षी इतनी सारी मछलियाँ कहाँ से ला रहे हैं?" एक मछुआरे ने हैरानी से कहा। दूसरे ने अनुमान लगाया, "दोस्तों! मुझे लगता है कि इन झाड़ियों के पीछे नदी से जुड़ा एक बड़ा जलाशय है, जहाँ इतनी सारी मछलियां पल रही हैं।"
उनकी आँखें चमक उठीं। पुलकित होकर वे झाड़ियों को चीरते हुए जलाशय के तट पर आ पहुँचे और ललचाई नज़रों से पानी में तैरती मछलियों को देखने लगे। "वाह! इस जलाशय में तो मछलियां भरी पड़ी हैं! आज तक हमें इसका पता ही नहीं लगा," पहले मछुआरे ने खुशी से कहा। "हाँ! यहाँ तो हमें ढेर सारी मछलियां मिलेंगी!" दूसरा बोला।
तीसरे ने आसमान की ओर देखा और कहा, "अरे! अब तो शाम घिर चुकी है। अंधेरा होने वाला है। आज तो नहीं, लेकिन कल सुबह ही आकर यहाँ जाल डालेंगे और अपना भाग्य आजमाएंगे।" इस प्रकार, मछुआरे अगले दिन का कार्यक्रम तय करके वापस चले गए।
तीनों मछलियों ने मछुआरों की सारी बातें सुन ली थीं। दूरदृष्टि मछली ने चिंतित होकर कहा, "साथियो! तुमने मछुआरों की बात तो सुन ही ली है। अब हमारा यहाँ रहना खतरे से खाली नहीं है। खतरे की सूचना हमें मिल गई है, और समझदारी इसी में है कि समय रहते अपनी जान बचाने का उपाय करें। मैं तो अभी इसी समय इस जलाशय को छोड़कर नहर के रास्ते नदी में जा रही हूँ। उसके बाद मछुआरे सुबह आएं, जाल फेंके, मुझे क्या! तब तक मैं तो बहुत दूर अटखेलियां कर रही हो-ऊंगी।"
ततपर मछली ने बेफिक्री से कहा, "तुम्हें जाना है तो जाओ, मैं तो नहीं आ रही। अभी खतरा आया कहाँ है, जो इतनी घबराने की ज़रूरत है? हो सकता है संकट आए ही न। क्या पता उन मछुआरों का यहाँ आने का कार्यक्रम रद्द हो जाए? या शायद रात को उनके जाल चूहे कुतर जाएं? हो सकता है उनकी बस्ती में आग लग जाए, या कोई भूचाल आकर उनके गाँव को नष्ट कर दे? या फिर रात को इतनी मूसलाधार वर्षा आए कि बाढ़ में उनका गाँव ही बह जाए! इसलिए उनका आना निश्चित नहीं है। जब वे आएंगे, तब की तब सोचेंगे। और कौन जानता है, हो सकता है मैं उनके जाल में ही न फँसूँ!"
भाग्यवादी ने अपनी चिर-परिचित बात दोहराई, "भागने से कुछ नहीं होने वाला। मछुआरों को आना है तो वे आएंगे ही। हमें जाल में फंसना है तो हम फंसेंगे। किस्मत में मरना ही लिखा है तो क्या किया जा सकता है? जो होना है सो होकर रहेगा।"
इस प्रकार, दूरदृष्टि मछली बिना किसी देर के, उसी समय वहां से निकल गई और नहर के रास्ते सुरक्षित नदी में पहुँच गई। ततपर और भाग्यवादी, अपनी-अपनी सोच के साथ, जलाशय में ही रुक गईं।
अगली सुबह हुई, और मछुआरे अपने बड़े-बड़े जाल लेकर आ पहुँचे। उन्होंने बिना किसी देरी के जलाशय में जाल फेंकना शुरू कर दिया, और देखते ही देखते मछलियां पकड़ना शुरू हो गया।
ततपर मछली ने जब संकट को अपनी आँखों के सामने आते देखा, तो उसके दिमाग ने तेज़ी से काम करना शुरू कर दिया। "अब क्या करूँ? छिपने के लिए कोई खोखली जगह भी नहीं है!" तभी उसे याद आया कि उस जलाशय में काफी दिनों से एक मरे हुए ऊदबिलाव की लाश तैर रही थी। "शायद यह मेरे बचाव के काम आ सकती है!" उसने सोचा।
जल्दी ही उसे वह लाश मिल गई। लाश सड़ने लगी थी और उसमें से तेज़ बदबू आ रही थी। ततपर बड़ी चालाकी से लाश के पेट में घुस गई और सड़ती लाश की सड़ांध अपने ऊपर लपेटकर बाहर निकली। कुछ ही देर में, मछुआरे के जाल में ततपर भी फंस गई। मछुआरे ने अपना जाल खींचा और सभी मछलियों को किनारे पर उलट दिया। बाकी मछलियां तो तड़पने लगीं, लेकिन ततपर दम साधकर, एक मरी हुई मछली की तरह निश्चल पड़ी रही।
मछुआरे को तेज़ सड़ांध का भभका लगा, तो वह मछलियों को देखने लगा। उसने निश्चल पड़ी ततपर को उठाया और सूंघा। "आक! यह तो कई दिनों की मरी मछली है! सड़ चुकी है!" ऐसे बुदबुदाकर और बुरा-सा मुँह बनाकर उस मछुआरे ने ततपर को वापस जलाशय में फेंक दिया।
ततपर अपनी बुद्धि और त्वरित निर्णय का प्रयोग कर संकट से बच निकलने में सफल हो गई थी। पानी में गिरते ही उसने एक गहरा गोता लगाया और सुरक्षित गहराई में पहुंचकर अपनी जान की खैर मनाई।
वहीं, भाग्यवादी मछली भी दूसरे मछुआरे के जाल में फंस गई थी और उसे एक टोकरे में डाल दिया गया था। भाग्य के भरोसे हाथ पर हाथ धरे बैठी रहने वाली भाग्यवादी ने उसी टोकरी में अन्य मछलियों की तरह तड़प-तड़पकर अपने प्राण त्याग दिए।
सीख (Moral of the Story):
यह कहानी हमें जीवन के तीन महत्वपूर्ण सिद्धांतों से परिचित कराती है: दूरदर्शिता, कर्मशीलता और भाग्य। दूरदर्शिता हमें आने वाले खतरों के प्रति सचेत करती है और समय रहते उनसे बचने का मौका देती है। कर्मशीलता हमें संकट के समय निष्क्रिय रहने के बजाय सक्रिय रूप से समाधान खोजने के लिए प्रेरित करती है। वहीं, भाग्यवादी सोच हमें निष्क्रिय और असहाय बना देती है, जिससे हम अपने जीवन के नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं। भाग्य भी उन्हीं का साथ देता है जो कर्म में विश्वास रखते हैं और कर्म को प्रधान मानते हैं। भाग्य के भरोसे हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहने वाले का विनाश निश्चित है। हमें जीवन में समझदारी से निर्णय लेने चाहिए, परिस्थितियों का आकलन करना चाहिए और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास करना चाहिए। सही समय पर सही कदम उठाना ही सफलता का असली मंत्र है।
और पढ़ें :
जंगल कहानी : स्मार्ट कबूतर की चतुराई
Jungle Story : चुहिया की होशियारी
Tags: हिंदी कहानी, मोटिवेशनल स्टोरी, पंचतंत्र, तीन मछलियां, बुद्धिमानी, कर्मशीलता, भाग्य, सफलता के सूत्र, जीवन की सीख, निर्णय लेने की क्षमता, प्रेरणा, बच्चों की कहानी, moral story in hindi. bachon ki hindi jungle kahani | bachon ki jungle kahani | bachon ki jungle kavita | best hindi jungle story | Best Jungle Stories | Best Jungle Story | Best Jungle Story for Kids | best jungle story in hindi | children’s jungle animal sea creature | children’s story with jungle animals | choti jungle kahani | choti jungle story | facts about jungle animals | facts about jungle animals in hindi | hindi jungle kahani | hindi jungle kavita | Hindi Jungle Stories | hindi jungle stories for kids | Hindi Jungle Story | hindi jungle stoy | hindi poem on jungle | inspirational jungle story | jungle animal | jungle animal article for kids | jungle animal facts | jungle animal facts in hindi | Jungle animals | jungle animals in hindi | jungle animal story in Hindi | Jungle, children’s jungle animal sea creature
